चांद पूरा हो, अधूरा हो
आधा हो, पौना हो या चौथाई हो
बढ़ता हुआ हो या घटता हुआ हो
चांद चांद ही होता है
चांदनी रातों का चांदनी का चांद
चांद होते हुए या
चांद न होते हुए भी बस
चांदनी का होता है।
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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