हम साथ चला करते थे,
रास्ते कट जाते थे,
पाव ना थकते थे।
घंटों बातें हुआ करती थी,
अल्फाज कम पर जाते थे,
समय बीत जाता था,
बातें रह जाती थी।
अब वक़्त बदल गया है,
बातें अब भी होती है,
पर जरुरी रह गयी है,
साथ अब भी है,
रास्ते अलग हो गए है।।
आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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