भूख मिटाने को आया इतनी दूर,
इसमे मेरा क्या कसूर,
सैकड़ों मील लम्बी,
शेषनाग-सी सड़कों पर चलने को हूँ मजबूर,
मैं हूँ मजदूर।।
गठरी में गृहस्थी बांधे,
पीठ पर बच्चा लादे,
कोख में बच्चा पाले,
जीने की लिए आशाएं,
चल रही है सैकड़ों माताएं,
हमारी ओर हुक्मरानों का ध्यान न जाए,
क्योंकि मैं हूँ मजदूर।।
कतार में खड़ा मैं,
रोजी-रोटी के लिए,
रेल टिकट के लिए,
मतदान के लिए,
शौचालय के लिए,
जान बचाने के लिए,
कतार में जीवन बिताने को हूँ मजबूर,
क्योंकि मैं हूँ मजदूर।।
रेल पटरियां हमें रास्ता दिखलाए,
जगह-जगह में रोका-टोका जाए,
वर्दी का रौब दिखाए,
फिर भी हम जिजीविषा लिए आगे बढ़ते जाए,
हे भगवान!
अगले जन्म में हमें मजदूर न बनाए,
मजदूर को सोच समझकर मजदूर बनाये,
मजदूर कितना है मजबूर,
मैं समझता हूं,,,
क्योंकि मैं हूँ मजदूर।।
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