Tuesday, May 26, 2020

हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल

हम को न मिल सका तो फ़क़त इक सुकून-ए-दिल
ऐ ज़िंदगी वगरना ज़माने में क्या न था
- आज़ाद अंसारी



आबला-पा कोई इस दश्त में आया होगा
वर्ना आँधी में दिया किस ने जलाया होगा
- मीना कुमारी नाज़



उन का ग़म उन का तसव्वुर उन की याद
कट रही है ज़िंदगी आराम से
- महशर इनायती

मिरा वजूद मिरी रूह को पुकारता है
तिरी तरफ़ भी चलूँ तो ठहर ठहर जाऊँ
- अहमद नदीम क़ासमी

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