Thursday, May 28, 2020

होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है व अन्य

होशियारी दिल-ए-नादान बहुत करता है
रंज कम सहता है एलान बहुत करता है
रात को जीत तो पाता नहीं लेकिन ये चराग

कम से कम रात का नुकसान बहुत करता है
आज कल अपना सफर तय नहीं करता कोई
हाँ सफर का सर-ओ-सामान बहुत करता है.
मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ...
मेरे होने में किसी तौर से शामिल हो जाओ
तुम मसीहा नहीं होते हो तो क़ातिल हो जाओ
दश्त से दूर भी क्या रंग दिखाता है जुनूँ
देखना है तो किसी शहर में दाखिल हो जाओ
जिस पे होता ही नहीं खूने-दो-आलम साबित
बढ़ के इक दिन उसी गर्दन में हमाइल हो जाओ
वो सितमगर तुम्हे तस्ख़ीर किया चाहता है
ख़ाक बन जाओ और उस शख्स को हासिल हो जाओ
इश्क़ क्या कारे-हवस भी कोई आसान नहीं
खैर से पहले इसी काम के क़ाबिल हो जाओ
मैं हूँ या मौजे-फना, और यहाँ कोई नहीं
तुम अगर हो तो ज़रा राह में हाइल हो जाओ
अभी पैकर ही जला है तो ये आलम है मियाँ
आग ये रूह में लग जाए तो कामिल हो जाओ.
 
सुखन में रंग तुम्हारे ख़याल ही के तो हैं...
सुखन में रंग तुम्हारे ख़याल ही के तो हैं
ये सब करिश्मे हवाए-विसाल ही के तो हैं
कहा था तुमने कि लाता है कौन इश्क़ की ताब
सो हम जवाब तुम्हारे सवाल ही के तो हैं
ज़रा सी बात है दिल में, अगर बयाँ हो जाय
तमाम मसअले इज़हारे-हाल ही के तो हैं
यहाँ भी इसके सिवा और क्या नसीब हमें
खुतन में रह के भी चश्मे-ग़िज़ाल ही के तो हैं
हवा की ज़द पे हमारा सफ़र है कितनी देर
चराग़ हम किसी शामे-ज़वाल ही के तो हैं.
 
वो जो इक शर्त थी वहशत की...
वो जो इक शर्त थी वहशत की, उठा दी गई क्या
मेरी बस्ती किसी सेहरा में बसा दी गई क्या
वही लहजा है मगर यार तेरे लफ़्ज़ों में
पहले इक आग सी जलती थी, बुझा दी गई क्या
जो बढ़ी थी कि कहीं मुझको बहा कर ले जाए
मैं यहीं हूँ तो वही मौज बहा दी गई क्या
पाँव में ख़ाक की ज़ंजीर भली लगने लगी
फिर मेरी क़ैद की मीआद बढ़ा दी गई क्या
देर से पहुंचे हैं हम दूर से आये हुए लोग
शहर खामोश है, सब ख़ाक उड़ा दी गई क्या.
बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है ...
बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया है
उसे गले से लगाए ज़माना हो गया है
चमक रहा है उफ़क़ तक ग़ुबारे-तीरा शबी
कोई चराग़ सफ़र पर रवाना हो गया है
हमें तो खैर बिखरना ही था कभी न कभी
हवा-ए-ताज़ा का झोंका बहाना हो गया है
फ़ज़ा-ए-शौक़ में उसकी बिसात ही क्या थी
परिन्द अपने परों का निशाना हो गया है
इसी ने देखे हैं पतझड़ में फूल खिलते हुए
दिल अपनी खुश नज़री में दिवाना हो गया है.

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