मुझ को आदत है मुस्कुराने की
- अब्दुल हमीद अदम
मैं समझता हूँ कि है जन्नत ओ दोज़ख़ क्या चीज़
एक है वस्ल तिरा एक है फ़ुर्क़त तेरी
- जलील मानिकपूरी
कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूँ किसी की तमन्ना न चाहिए
- शाद आरफ़ी
मिरे हालात को बस यूँ समझ लो
परिंदे पर शजर रक्खा हुआ है
- शुजा ख़ावर
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