Wednesday, May 27, 2020

दरिया शायरी

बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता
- बशीर बद्र


दोनों चश्मों से मिरी अश्क बहा करते हैं
मौजज़न रहता है दरिया के किनारे दरिया
- वज़ीर अली सबा लखनवी

कोई कश्ती में तन्हा जा रहा है
किसी के साथ दरिया जा रहा है
- मोहसिन ज़ैदी


तू दरिया है तो होगा हाँ मगर इतना समझ लेना
तिरे जैसे कई दरिया मिरी आँखों में रहते हैं
- नफ़स अम्बालवी


अपनी मस्ती में बहता दरिया हूँ
मैं किनारा भी हूँ भँवर भी हूँ
- तहज़ीब हाफ़ी


चली है मौज में काग़ज़ की कश्ती
उसे दरिया का अंदाज़ा नहीं है
- सलीम अहमद

दरिया को किनारे से क्या देखते रहते हो
अंदर से कभी देखो कैसा नज़र आता है
- इनाम नदीम


खींच लाई है तिरे दश्त की वहशत वर्ना
कितने दरिया ही मिरी प्यास बुझाने आते
- रम्ज़ी असीम

मैं कश्ती में अकेला तो नहीं हूँ
मिरे हमराह दरिया जा रहा है
- अहमद नदीम क़ासमी


अगरचे रोज़ मिरा सब्र आज़माता है
मगर ये दरिया मुझे तैरना सिखाता है
- राना आमिर लियाक़त

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