इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं
- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो
- अल्लामा इक़बाल
एक बे-नाम उदासी से भरा बैठा हूं
आज दिल खोल के रोने की ज़रूरत है मुझे।
- अंजुम सलीमी
उदास शाम की यादों भरी सुलगती हवा
हमें फिर आज पुराने दयार ले आई।
- राजेंद्र मनचंदा बानी
इस जुदाई में तुम अंदर से बिखर जाओगे
किसी माज़ूर को देखोगे तो याद आऊंगा।
- वसी शाह
ग़म बयां करने का कोई और ढंग ईजाद कर,
तेरी आंखों का यह पानी तो पुराना हो गया।
- वसीम बरेलवी
हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल
उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती
- वसीम बरेलवी
हम ग़म-ज़दा हैं लाएँ कहाँ से ख़ुशी के गीत
देंगे वही जो पाएँगे इस ज़िंदगी से हम
- साहिर लुधियानवी
हमारे घर की दीवारों पे 'नासिर'
उदासी बाल खोले सो रही है
- नासिर काज़मी
जिसको बड़ा ग़ुरूर था अपने वजूद पर,
वो आफ़ताब शाम की चौखट पे मर गया।
- शाहिद सागरी
वो पलकों पै आ ही गया बन के आंसू,
ज़ुबां पे न हम ला सके जो फ़साना।
- हसरत सुहवाई
मुझे ये डर है तिरी आरज़ू न मिट जाए
बहुत दिनों से तबीअत मिरी उदास नहीं
- नासिर काज़मी
ना-उमीदी बढ़ गई है इस क़दर
आरज़ू की आरज़ू होने लगी
- दाग़ देहलवी
ना-उमीदी मौत से कहती है अपना काम कर
आस कहती है ठहर ख़त का जवाब आने को है
- फ़ानी बदायुनी
इतना मैं इंतिज़ार किया उस की राह में
जो रफ़्ता रफ़्ता दिल मिरा बीमार हो गया
- शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
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