Tuesday, May 19, 2020

हर पल ही मुस्कराते रहे हम बस यही ज़िंदगी है।

बदलते हवा के रुख़ सा यहां लोग बदलते हैं,
हर रिश्तों में ही ख़ुशियाँ और ग़म झलकते हैं,
मगर कौन कैसा है ये तो वक़्त ही जानता है,
इस जहाँ में बोलो कौन किसको पहचानता है।

तुम बूरे हो काम जिसके न कोई भी तुम आए,
हो प्यारे दुलारे जिसके तुमने कोई काम बनाए,
है मतलबी दुनिया, मतलब हर शख्स ढूंढता है,
हर कोई यहाँ पर अपने मन का आईना ढूंढता है।

बिखरा हर कोई है, कोई भी गुलगार दिखता नहीं,
मगर संभल कर जो बढ़ जाए उसी की ये डगर है।
एक पल की मुस्कान के लिए क्यों पल हम तलाशे,
हर पल ही मुस्कराते रहे हम बस यही ज़िंदगी है।

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