मेरे जिस्म का हर हिस्सा इंक़लाब मांग रहा है,
तेरा दिल चाहे तो मुझसे रूठ जा ऐ दुनिया
पर अपने हिस्से का रोटी वो मांग रहा है,
ख़्वाब में मिले थे उसको रोटी दाल सब्जी
जगा तो सड़क पर अपना हक़ मांग रहा है,
जो बिछड़ गया था पिछले चुनाव में यार
वो दोस्त रो-रोकर अपना दोस्त मांग रहा है,
बाहर कौन इतना शोर कर रहा, साहब ने डाँटा
नौकर बोला साब कोई बच्चा रोज़गार मांग रहा है।
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