यहीं के हो रहोगे साए में इक पल अगर बैठे
- शहज़ाद अहमद
साएबाँ क्या अब्र का टुकड़ा है क्या
धूप तो मा'लूम है साया है क्या
- अम्बर शमीम
घर में भी हूँ और मुझ को दश्त में भी
धूप में जलते हुए देखा गया है
- दानियाल तरीर
ग़म का सूरज तो डूबता ही नहीं
धूप ही धूप है किधर जाएँ
- सरफ़राज़ दानिश
कब धूप चली शाम ढली किस को ख़बर है
इक उम्र से मैं अपने ही साए में खड़ा हूँ
- अख़्तर होशियारपुरी
झूट पर उस के भरोसा कर लिया
धूप इतनी थी कि साया कर लिया
- शारिक़ कैफ़ी
कड़ी है धूप तमाज़त से पाँव जलते हैं
जो साएबान सरों पर था क्या हुआ बाबा
- अशरफ़ अली अशरफ़
करना पड़ेगा अपने ही साए में अब क़याम
चारों तरफ़ है धूप का सहरा बिछा हुआ
- वज़ीर आग़ा
शहर है ख़ामोश जैसे हो खंडर
धूप में जलते मकाँ हैं और मैं
- अज़ीज़ प्रीहार
मैं मुसाफ़िर दिन की जलती धूप का
रात मेरा दर्द पहचानेगी क्या
- फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
गिरेगी कल भी यही धूप और यही शबनम
इस आसमाँ से नहीं और कुछ उतरने का
- हकीम मंज़ूर
तमाम दिन मुझे सूरज के साथ चलना था
मिरे सबब से मिरे हम-सफ़र पे धूप रही
- इक़बाल उमर
जाती है धूप उजले परों को समेट के
ज़ख़्मों को अब गिनूँगा मैं बिस्तर पे लेट के
- शकेब जलाली
धूप के साथ गया साथ निभाने वाला
अब कहाँ आएगा वो लौट के आने वाला
- वज़ीर आग़ा
हम मुसाफ़िर हैं सुलगती धूप जलती राह के
वो तुम्हारा रास्ता है जिस में आसानी भी है
- रम्ज़ अज़ीमाबादी
रास्ते दौड़े चले जाते हैं किन सम्तों को
धूप में जलते रहे साए बिछाए गए हम
- फ़हीम शनास काज़मी
बला की धूप में ऐसे भी जिस्म जलता रहा
बदन का साया जो अपने सिरों से ढलता रहा
- नबील अहमद नबील
मैं ने कुछ धूप में जलते हुए चेहरे देखे
फिर मुझे साया-ए-दीवार ने सोने न दिया
- लैस क़ुरैशी
ज़िंदगी धूप में जलते हुए काटी जिस ने
साया मिल जाए कोई उस को दुआ दी जाए
- असरा रिज़वी
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