Tuesday, May 26, 2020

हम समय की रेत पर, रख पाँव अपने, चल पड़े।

हम समय की रेत पर, रख पाँव अपने, चल पड़े।
आँख में मंजिल, हृदय विश्वास लेकर, चल पड़े।
दूर अपना लक्ष्य, है दुर्गम सफ़र, हमको पता है,
साथ है कमजोर, साधनहीन हैं, हमको पता है,
जिस दिशा में जा रहे वह राह कैसी क्या ख़बर,
पर लिए संकल्प, चलते जा रहे , हमको पता है।
खुद ही अपना भार अपने पर उठाए, चल पड़े ।
हम समय की रेत पर, रख पाँव अपने, चल पड़े
कुछ चलेंगे, कुछ रुकेंगे , कुछ थकेंगे राह में,
कुछ की हिम्मत साथ देगी, कुछ गिरेंगे राह में,
पैर के छाले किसी के, जख्म बनते जाएंगे,
हाथ कांधे पर लगेगा बोझ भारी, राह में
अपने तन को रथ बनाए, खुद जुते बस, चल पड़े।
हम समय की रेत पर, रख पाँव अपने, चल पड़े
देखता होगा क्या कोई राह, हमको क्या पता?
प्यार के दो बोल,ममता की छुअन भी क्या पता?
दूर दिखती आस की झीनी किरण को देख कर ,
फैसला मन का बना कब जोश ,कैसे, क्या पता?
हौसला जब बन गया तो बन गया बस, चल पड़े।

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