Sunday, May 24, 2020

माँ

माँ ही मंदिर माँ ही पूजा,
जिसमे सारा जग है समाया,
माँ के चरणों में चारों धाम हैं,
धरती पे भगवान की मूरत वो माँ ही तो है।

जितना मैंने अब तक जाना है,
अपने बच्चों से करती निह्स्वार्थ भाव प्यार है,
वो ममता की मूरत हां वो माँ ही तो है।

बचपन में जो लोरिया सुनाती थी,
पापा के डाट से माँ ही तो बचाती थी,
रूठ जाने पे हमको प्यार भी वो करती थी,
मेरी गलती को माँ ही तो सुधारती थी।

कभी ना थकना कभी ना रुकना,
जीवन पथ पे चलते रहना,
ज्योती की भांती सारा जीवन वो जलती है,
अन्धकार जीवन अपने बच्चों के दूर वो करती है,
ममता की मूरत वो माँ कहलाती है।।

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