लाखों शक्लों के मेले में तनहा रहना मेरा काम
भेस बदल कर देखते रहना तेज़ हवाओं का कोहराम
एक तरफ़ आवाज़ का सूरज एक तरफ़ इक गूँगी शाम
एक तरफ़ जिस्मों की ख़ुश्बू एक तरफ़ इस का अन्जाम
बन गया क़ातिल मेरे लिये तो अपनी ही नज़रों का दाम
सब से बड़ा है नाम ख़ुदा का उस के बाद है मेरा नाम.
तोड़ना टूटे हुये दिल का बुरा होता है...
तोड़ना टूटे हुये दिल का बुरा होता है.
जिस का कोई नहीं उस का तो ख़ुदा होता है.
माँग कर तुम से ख़ुशी लूँ मुझे मंज़ूर नहीं,
किस का माँगी हुई दौलत से भला होता है.
लोग नाहक किसी मजबूर को कहते हैं बुरा,
आदमी अच्छे हैं पर वक़्त बुरा होता है.
क्यों "मुनिर" अपनी तबाही का ये कैसा शिकवा,
जितना तक़दीर में लिखा है अदा होता है.
मैं और मेरा ख़ुदा ...
लाखों शक्लों के मेले में तनहा रहना मेरा काम
भेस बदल कर देखते रहना तेज़ हवाओं का कोहराम
एक तरफ़ आवाज़ का सूरज एक तरफ़ इक गूँगी शाम
एक तरफ़ जिस्मों की ख़ुश्बू एक तरफ़ इस का अन्जाम
बन गया क़ातिल मेरे लिये तो अपनी ही नज़रों का दाम
सब से बड़ा है नाम ख़ुदा का उस के बाद है मेरा नाम.
हमेशा देर कर देता हूँ मैं...
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
ज़रूरी बात कहनी हो
कोई वादा निभाना हो
उसे आवाज़ देनी हो
उसे वापस बुलाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
मदद करनी हो उसकी
यार का धाढ़स बंधाना हो
बहुत देरीना रास्तों पर
किसी से मिलने जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
बदलते मौसमों की सैर में
दिल को लगाना हो
किसी को याद रखना हो
किसी को भूल जाना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं
किसी को मौत से पहले
किसी ग़म से बचाना हो
हक़ीक़त और थी कुछ
उस को जा के ये बताना हो
हमेशा देर कर देता हूँ मैं.
-मुनीर नियाजी
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