तंबू में तू बैठकर, ले ले थोड़ी छाँव ।।
काट काट के पेड़ नित, बंजर किए है गाँव ।
हमको मिल पाती नहीं, आज शज़र की छाँव ।।
गम हो या कोई खुशी, या कोई त्यौहार ।
स्वामी शक्ति टैंट के, रहे सदा तैयार ।।
सर्दी हो बरसात हो, या गर्मी की धूप ।
टैंट यहाँ मौजूद है, मौसम के अनुरूप ।।
टैंट सरीखा है नहीं, जग में कोई मीत।
इस लिए दुनिया सदा, रखती इससे प्रीत ।।
मित्रों शक्ति टैंट का, ऐसा बदला रूप ।
आज 'खुराना' जी हुए, इस बिजनेस के भूप।।
नभ में जबतक सूर्य है ,गंगा में जलधार ।
निशदिन ही फूले फूले, इनका कारोबार ।।
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