याद बीते हुए लम्हों की दिलाता है मुझे
बेखुदी में लिए जाता है कोई तन्हा मुझे ,
मेरी मंजिल का पता कौन बताता है मुझे
डगमगाते हैं कदम कैसे संभालू खुद को ,
मस्त नजरों से कोई जाम पिलाता है मुझे
कौन पोछेगा मेरी आँखों से बहते आसूं ,
जिसको देखूं परेशाँ नजर आता है मुझे
करवटें बदलता रहता हूँ मै तो आजकल ,
यादों का समंदर रात भर जगाता है मुझे!
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