छुआ जो मैं ने तो दो तितलियां निकल आईं
- लियाक़त जाफ़री
हर ग़म सहना और ख़ुश रहना
मुश्किल है आसान नहीं है
- वक़ार मानवी
गिरते पेड़ों की ज़द में हैं हम लोग
क्या ख़बर रास्ता खुले कब तक
- अज़हर फ़राग़
जिस्म की सतह पे तूफ़ान किया जाएगा
अपने होने का फिर एलान किया जाएगा
- सालिम सलीम
No comments:
Post a Comment