Sunday, May 24, 2020

अपने होने का फिर एलान किया जाएगा

उस आइने में था सरसब्ज़ बाग़ का मंज़र
छुआ जो मैं ने तो दो तितलियां निकल आईं
- लियाक़त जाफ़री


हर ग़म सहना और ख़ुश रहना
मुश्किल है आसान नहीं है
- वक़ार मानवी


गिरते पेड़ों की ज़द में हैं हम लोग
क्या ख़बर रास्ता खुले कब तक
- अज़हर फ़राग़

जिस्म की सतह पे तूफ़ान किया जाएगा
अपने होने का फिर एलान किया जाएगा
- सालिम सलीम

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