जो तुम रूठ गए हमसे
कहाँ मिलने की ख्वाहिश थी दिल में
अब दूर होते गए तुम दिल से
सोचा था कितने प्यारे सपने
पर वो सपने हो न सके अपने
अंज़ार - मिलाने से तुम क्यों डरते हो
अरफ़ - अंजल में यूँ भरते हो
तुम्हारी इन अदाओं से मैं हो गया फ़िगार
ऐसा किया तूने अंज़ार - शिकार
क्या मैं अमल करूँ तुमसे
ऐसा हाल बना दिया तुमने
आहत यह "अमर" दिल है
तेरे बिना सूनी यह महफ़िल
मन में तसव्वुर है तेरा
इसने जीना मुश्क़िल किया है मेरा
ज़िन्दा हूँ अभी प्यार की सौग़ात लिए
दिल की यादों को साथ लिए
अब तो उन लम्हों का इंतजार है
जब तुम खुद ही कहो 'हमें तुमसे प्यार है'।
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