Monday, May 25, 2020

उन बस्तियों से गुज़रना ही नहीं है

ए जिंदगी तुझसे उलझना ही नहीं है
बेमतलब में अब पड़ना ही नहीं है
बता के गई खुद मौत हमको ये आज
कि हमको तो अभी मरना ही नहीं है

कैद कर ले न कोई हमसे ही हमें
खुदी से बाहर निकलना ही नहीं है

चोर सिपाही दीवाने सब बन लिए
अब जीवन में कुछ बनना ही नहीं है

खड़े है जिंदगी के उस मोड़ पर हम
जहां कुछ शौके-तम्मना ही नहीं है

इश्क़ रहता है जिन बस्तियों में 'कुँवर'
उन बस्तियों से गुज़रना ही नहीं है

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