Sunday, May 24, 2020

ऐ आसमान तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़

ऐ आसमान तेरे ख़ुदा का नहीं है ख़ौफ़
डरते हैं ऐ ज़मीन तिरे आदमी से हम
- अज्ञात


बहुत हसीन सही सोहबतें गुलों की मगर
वो ज़िंदगी है जो कांटों के दरमियां गुज़रे
- जिगर मुरादाबादी


दोस्तों से मुलाक़ात की शाम है
ये सज़ा काट कर अपने घर जाऊँगा
- मज़हर इमाम

हज़ार चेहरे हैं मौजूद आदमी ग़ाएब
ये किस ख़राबे में दुनिया ने ला के छोड़ दिया
- शहज़ाद अहमद

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