मुझे मशहूर नहीं होना
मुझे नाम कमाना है,
और नाम बनाना है।
पर्चो में छपवाना है,
क्या कहूं रातों में क्यों नहीं सोता
सच बताऊं तो ,नींदों का सौदा कर आया हूं।
भीड़ महफ़िल और चकाचौंध नज़रें
मैं सब कुछ तो देख आया,
और फिर कुछ सोच , चंद किताबों के लिए
मैं अपना सुकून बेच आधा कर आया हूं।
अब मैं हूं , कुछ पन्ने
और कुछ रातें है जागी सी
क्या पता, मेरा नाम होगा कभी
इन पन्नों में, या यूं ही ढह जाऊंगा
पर अब पास कुछ नहीं खोने को
इसलिए पहचान पाने का वादा कर आया हूं।
मैं बहुत दूर निकल आया हूं।
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