संकट का पल कट जायेगा।।
फिर से होगा नया सबेरा
घोर अँधेरा छट जायेगा।।
अरुणाचल में लाली होगी,
कलरव होगा घर आंगन में।
ऊषा बटोरेगी नव नीरद,
मधु पल्लव होगा उपवन में।
मधुपों-मुकुलों के मलय वात से
किसलय खिलकर मुस्कायेगा।।
हिम्मत रख बदलेगा मंजर,
संकट का पल कट जायेगा।।
पल ये कठिन बहुत है लेकिन,
इससे अब घबराना कैसा।।
भाग्य नीड़ यह परिवर्तन है,
किसी पे दोष लगाना कैसा।।
धूप दोपहरी निष्फल जीवन,
शुभ आशा से घट जायेगा।।
हिम्मत रख बदलेगा मंजर,
संकट का पल कट जायेगा।।
लक्ष्य से तुम ना कभी विचलना,
राह में चाहे कोटि बाधा हो।
हौसलों की ढाल बनाकर,
भाग्य मूल केवल साधा हो।।
मिलना जो है वही मिलेगा,
विधि का लेख भी बट जायेगा।।
हिम्मत रख बदलेगा मंजर,
संकट का पल कट जायेगा।।
घर-घर में कोहराम मचा है
शहर-नगर भय कोलाहल है।
कुम्हला गई है कलियाँ सारी,
असमय उपवन-वन व्याकुल है ।।
विकट,विषम विपुल दुखदायक ,
बहुजन हृदय भी लुट जायेगा।।
हिम्मत रख बदलेगा मंजर,
संकट का पल कट जायेगा।।
खुद को हवा से तेज करो तुम
अतिवेग से आप बढों अब।
राह कठिन हो कितनी भी पर,
अकंम्पित हो प्रतिवेग चढ़ो अब।।
अविचल,अकथ ,सतत चलने से,
मंजिल क्षण झटपट आयेगा।।
हिम्मत रख बदलेगा मंजर,
संकट का पल कट जायेगा।।
मजबूरी की मूढ़ विवशता,
छाया है घनघोर अँधेरा।
धुधली सी बादल की चादर,
जाने कब हो नया सबेरा।।
सपनों के लाचार पाँव अब,
दुर्दम्य घाव से कट जायेगा।।
हिम्मत रख बदलेगा मंजर,
संकट का पल कट जायेगा।।
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