Monday, May 18, 2020

अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं

अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब 
अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं 
- साहिर लुधियानवी


भीड़ तन्हाइयों का मेला है
आदमी आदमी अकेला है
- सबा अकबराबादी


तुम ने छेड़ा तो कुछ खुले हम भी
बात पर बात याद आती है
- अज़ीज़ लखनवी

किसी अकेली शाम की चुप में
गीत पुराने गा के देखो
- मुनीर नियाज़ी

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