Thursday, May 21, 2020

तमन्नाएँ थीं ख्वाबें बेसुमार थीं

कहाँ से चला था
तमन्नाएँ थीं ख्वाबें बेसुमार थीं
उत्साह की उमरी ज्वार थी.
ध्येय निश्चय कर उसे पाना
जीवन की थी नित्य प्रेरणा.

राह की अवरोधें
मानो ललकारती वजूद को,
वैज्ञानिक हल ढूँढता, प्रबंधन के नीति पर कसता
उर्जावान हो हल सुझाता.

"सफल" शब्द सा सुनहरा
और ना पाया कुछ जग में,
जोश, जुनून, धैर्य व दृढ़ता
बनते साधन उपलब्धि में.

संयोग बना इक दिन ऐसा
आया हो प्रश्नों का सैलाब जैसा,
क्या कर्म है क्या है जीवन
जानें इनका प्रयोजन

देखा जब "ध्यान " से इसे
बह रही है नदी जैसे
मूढ़ता है इसे काबू में करना
बुद्धों ने सुझाया "मुक्त करना".
भरम है ये सुख दुख
जाने सो आलोक उन्मुख॥

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