Friday, May 15, 2020

मेरी आंखों में हैं आंसू तेरे दामन में बहार

इन चराग़ों में तेल ही कम था
क्यूं गिला फिर हमें हवा से रहे
- जावेद अख़्तर


दुआएं याद करा दी गई थीं बचपन में
सो ज़ख़्म खाते रहे और दुआ दिए गए हम
- इफ़्तिख़ार आरिफ़

मेरी आंखों में हैं आंसू तेरे दामन में बहार
गुल बना सकता है तू शबनम बना सकता हूं मैं
- नुशूर वाहिदी

रहने दे अपनी बंदगी ज़ाहिद
बे-मोहब्बत ख़ुदा नहीं मिलता
- मुबारक अज़ीमाबादी

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