क्यूं गिला फिर हमें हवा से रहे
- जावेद अख़्तर
दुआएं याद करा दी गई थीं बचपन में
सो ज़ख़्म खाते रहे और दुआ दिए गए हम
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
मेरी आंखों में हैं आंसू तेरे दामन में बहार
गुल बना सकता है तू शबनम बना सकता हूं मैं
- नुशूर वाहिदी
रहने दे अपनी बंदगी ज़ाहिद
बे-मोहब्बत ख़ुदा नहीं मिलता
- मुबारक अज़ीमाबादी
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