जन्मदाताओं का तो ख़ूब हो गया वर्णन,
बारी है उसकी, जिसको है मेरा साथ समर्पण।
वह और कोई नहीं, है मेरा प्यारा साजन,
जो ज़िंदगी का हिस्सा ही नहीं, अब है मेरा जीवन।
सजना के नाम की प्यारी लाल चुनरिया,
पहन कर जब मैं बनी थी दुल्हनिया,
वरमाला और सात फेरों से बँधे हम दो साथी,
बने हम जीवनसाथी, जैसे दिया और बाती।
जब सब मना रहे थे खुशियाँ और जश्न,
मेरे मन में उठ रहे थे न जाने कई प्रश्न!
भाव उठा, कैसे रह पाऊँगी नए परिवार में,
पिया ने कहा रम जाओगी, जैसे प्यारे मोती गले के हार में।
अपनी बातों से किया मोहित ऐसा, जैसे चितचोर,
प्रेम ऐसा बरसाया, जैसे वर्षा घनघोर!
संग मेरे बसायी नई दुनिया रंग बिरंगी,
मन को लागे प्यारा, मेरा साजन अतरंगी।
नोक-झोंक, प्यार-तकरार; साथ है ये अनूठा सा,
रिश्ता है सबसे अलग, कुछ खट्टा कुछ मीठा सा।
रूठने मनाने से ही गहरा हुआ हमारा प्यार,
पिया के संग से ही आयी, मेरे जीवन में बहार।
दुनिया बनायी मेरी ख़ूबसूरत, जैसे पेड़ गुलमोहर,
कण-कण किया रोमांचित, जैसे मुरली मनोहर।
“तुम सब कुछ कर सकती हो”, कह कर बढ़ाया हमेशा हौसला,
साथ दिया हरदम, जब भी हुआ कोई मसला।
सब हक और अधिकार देकर माना मुझे जीवन संगिनी,
मैं बन गई, अपने साजन की तरंगिनी।
जबसे है थामा मेरा हाथ, माना मुझे शिरोमणि,
सात हम दोनों का ऐसा, जैसे राग-रागिनी।
सदैव रखा मेरा मान,दिया मुझे महत्व,
मेरा साजन ही, मेरा गहना है सर्वत्र।
परस्पर पिया ने रखा मेरा ऐसा खयाल,
बहार आयी जीवन में, सफर हुआ हरियाल।
ऊँची उड़ान भर सकूँ, दिए मुझे ऐसे पर,
डगमगायी तो थाम लिया; मेरा प्यारा हमसफ़र।
ईश्वर का करूँ धन्यवाद; मैं प्रार्थी,
धन्य हुई पाकर, मैं ऐसा जीवन साथी।
हे जीवन साथी! तुम ही मेरे दोस्त, तुम ही मेरे प्रेमी,
तुम मेरे गाइड, मेरे मेंटर, मेरे लाईफ पार्टनर।
रहना साथ हमेशा, कभी न होना जुदा,
है रब से यही दुआ, बनूँ साथी तुम्हारी सदा।
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