Saturday, October 10, 2020

कभी आंखों से ही बात कर लेते थे

कभी आंखों से ही बात कर लेते थे उनसे ,
आज आंखों से आंख ना मिलाने को जी चाहता है ,
कभी बहाने ढूंढता था बात करने को उनसे ,
आज ख़ामोश रहने को जी चाहता है ।
कभी लंबे सफ़र तय करने के साथ में उनके,
आज नजदीक जाने से जी कतराता है ,
जुनून तो इतना था तोड़ूंगा तारे उनके लिए ,
आज उस जुनून को अपशब्द कहने को जी चाहता है।
हर छोटी सी बात बिन कहे ही समझ लेना,
ख़्वाहिशे पूरी करने के वादे क्या किये,
आपने हमें जाने क्या समझ लिया ,
जाने क्या समझ लिया ..............।

बीते उन पलों को समेट कर रख लूं,
ख़ामोशी को ही अपनी आवाज़ बना लूं ।
“आरज़ू-ए-दिल फिर भी जाने क्यों है ,
आरजू-ए-दिल फिर भी जाने क्यों है,”
“बस एक बार उनसे कुछ सवालात कर लूं,
बस एक बार उनसे कुछ सवालात कर लूं।“

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