Wednesday, October 14, 2020

वक़्त तो कब का निकल चुका

सूख चुकी है कलम की स्याही
ना शब्दों का भण्डार बचा
शायद कही, मैं ही रुक सा गया हूँ
वक़्त तो कब का निकल चुका

No comments: