न दूरियां अब.. जैसे कोई बाकी है
आते हैं कई सवाल फिर शांत हो जाता हूं,
कि शायद उनका कुछ कहना हमसे बाकी है
आखिर उनसे चंद सवालात कर ही लिए
कुछ तो हिम्मत हममें भी बाकी है
आते हो जब मेरे तस्सवुर में तुम,
एक हवा सुकून की साथ चली आती है
बताओ बेवज़ह आते हो ज़हन में मेरे,
या कुछ बातें अनकही बाकी है?
सुनते ही मेरे सवालात वो थोड़ा गुस्साये,
मानो कुछ अपनापन अब भी बाकी है
चेहरे पर नाराजगी के साथ..
हल्की सी मुस्कराहट लिए वो बोले...
हम थे साथ ..तो कुछ और बात थी,
फिलहाल एक प्यारा सा अपना साथी है
छूटा साथ तेरा तो सब कुछ भूलें,
न कोई वज़ह न कुछ अनकही बाकी है
क्यूं करते हो अब भी .. याद मुझे इतना,
आँखें खुलती नहीं कि हिचकियां आती हैं
बंद हैं रास्ते सब.. मेरे दिल को पाने के,
न तमन्ना कोई तेरे साथ आने की है
न करना जिक्र मेरा कहीं अब ज़माने में,
कर न बदनाम, थोड़ी सी इज्ज़त बाकी है
सुनकर जवाब उनका हम भी रह न सके...
बस कह लिया जो कहना था तुमने,
अब सुनना न कुछ ऐसा .. तुमसे बाकी है
होते हमसफर.. तो बात कुछ और ही होती,
पर अब ये जिन्दगी जैसे तन्हा राह बाकी है,
एक तुम ही होते बस मंजिल अपनी ,
होती न परवाह कि सफर कितना बाकी है
पर जिक्र तेरा रहेगा हर नज़्म में मेरी,
लिखनी तुम पर कई ग़ज़लें बाकी है
अभी तो चंद लफ़्ज़ों में समेटा है तुझे..
अभी तो मेरी किताबों में तेरा सफर बाकी है....
अभी तो चंद लफ़्ज़ों में समेटा है तुझे..
अभी तो मेरी किताबों में तेरा सफर बाकी है....
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