उम्र ढल जाती है जल्दी पलट आना मिरे दोस्त
- अशफ़ाक़ नासिर
वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
- परवीन शाकिर
सुब्ह बिछड़ कर शाम का व'अदा शाम का होना सहल नहीं
उन की तमन्ना फिर कर लेना सुब्ह को पहले शाम करो
- निसार इटावी
फिर आज 'अदम' शाम से ग़मगीं है तबीअत
फिर आज सर-ए-शाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
- अब्दुल हमीद अदम
दुख के ताक़ पे शाम ढले
किस ने दिया जलाया था
- अनवर सदीद
शाम से उन के तसव्वुर का नशा था इतना
नींद आई है तो आँखों ने बुरा माना है
- अज्ञात
हम भी इक शाम बहुत उलझे हुए थे ख़ुद में
एक शाम उस को भी हालात ने मोहलत नहीं दी
- इफ़्तिख़ार आरिफ़
वो मुझे छोड़ के इक शाम गए थे 'नासिर'
ज़िंदगी अपनी उसी शाम से आगे न बढ़ी
- हकीम नासिर
आ गई याद शाम ढलते ही
बुझ गया दिल चराग़ जलते ही
- मुनीर नियाज़ी
जब शाम उतरती है क्या दिल पे गुज़रती है
साहिल ने बहुत पूछा ख़ामोश रहा पानी
- अहमद मुश्ताक़
फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा
- बशीर बद्र
शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं
- राजेश रेड्डी
आज ये शाम भीगती क्यों है
तुम कहीं छुप के रो रही हो क्या
- ज़िया ज़मीर
शाम से कुछ बुझा सा रहता हूँ
दिल हुआ है चराग़ मुफ़्लिस का
- मीर तक़ी मीर
No comments:
Post a Comment