Monday, October 12, 2020

ढलती शाम शायरी

शाम ढलने से फ़क़त शाम नहीं ढलती है
उम्र ढल जाती है जल्दी पलट आना मिरे दोस्त
- अशफ़ाक़ नासिर


वो न आएगा हमें मालूम था इस शाम भी
इंतिज़ार उस का मगर कुछ सोच कर करते रहे
- परवीन शाकिर

सुब्ह बिछड़ कर शाम का व'अदा शाम का होना सहल नहीं
उन की तमन्ना फिर कर लेना सुब्ह को पहले शाम करो
- निसार इटावी


फिर आज 'अदम' शाम से ग़मगीं है तबीअत
फिर आज सर-ए-शाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
- अब्दुल हमीद अदम


दुख के ताक़ पे शाम ढले
किस ने दिया जलाया था
- अनवर सदीद

शाम से उन के तसव्वुर का नशा था इतना
नींद आई है तो आँखों ने बुरा माना है
- अज्ञात

हम भी इक शाम बहुत उलझे हुए थे ख़ुद में
एक शाम उस को भी हालात ने मोहलत नहीं दी
- इफ़्तिख़ार आरिफ़


वो मुझे छोड़ के इक शाम गए थे 'नासिर'
ज़िंदगी अपनी उसी शाम से आगे न बढ़ी
- हकीम नासिर

आ गई याद शाम ढलते ही
बुझ गया दिल चराग़ जलते ही
- मुनीर नियाज़ी


जब शाम उतरती है क्या दिल पे गुज़रती है
साहिल ने बहुत पूछा ख़ामोश रहा पानी
- अहमद मुश्ताक़

फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
जब धूप में साया कोई सर पर न मिलेगा
- बशीर बद्र


शाम को जिस वक़्त ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे और मर जाता हूँ मैं
- राजेश रेड्डी

आज ये शाम भीगती क्यों है
तुम कहीं छुप के रो रही हो क्या
- ज़िया ज़मीर


शाम से कुछ बुझा सा रहता हूँ
दिल हुआ है चराग़ मुफ़्लिस का
- मीर तक़ी मीर

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