मेरे मासूम सवालों की गहराई से मत डरना ।
लिखे हुए अल्फ़ाज़ों की गहराई में जाइए
मुझे तो बस मेरे सवालों के जवाब चाहिए
क्या सो गई है सरकार है ?
भुखमरी से मर रहा गरीब इंसान है
क्यों जिंदा यह सरकार है ?
योजना पर योजना चलाई जा रही,
कागजी कार्यवाही में गरीब दौड़ाई जा रही
कितनों तक यह योजना पहुंचाई जा रही
या कागजी कार्यवाही करा करा कर
गरीबों के नाम पर यह योजना अमीरों तक पहुंचाई जा रही
उठ गया है कलम ,स्याही से मत डरना
मेरे मासूम सवालों की गहराई से मत डरना
क्या खो गया है इंसान बिक गई इंसानियत,
क्या बस रह गया हैवान और जिंदा है हैवानियत ?
क्यों पूज रहे हो कन्या रूपी देवियां
जबकि सरेआम लूट रही है बेटियां
भीख मांग रहे हो इंसाफ की
यह तो बताओ लोकतंत्र किस काम की
लुट गई है बेटियां तो इंसाफ चाहिए,
यह तो बताओ लोकतंत्र का बस नाम चाहिए
अरे यह क्यों नहीं कहते, नहीं हमें ऐसे हैवान चाहिए
लोकतंत्र के नाम पर राजतंत्र नहीं चाहिए
हमें तो बस स्वतंत्र समाज चाहिए
मुझे मेरे सवालों के जवाब चाहिए
उठ गए हैं कलम स्याही से मत डरना
मेरे मासूम सवालों की गहराई से मत डरना
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