वही सलोना श्याम।
जितने अधिक रहें अच्छा है
अपने छोटे छन्द,
अतुलित जो है उधर अलौकिक
उसका वह आनन्द
लूट लो, न लो विराम;
रमा है सबमें राम।
अपनी स्वर-विभिन्नता का है
क्या ही रम्य रहस्य;
बढ़े राग-रञ्जकता उसकी
पाकर सामंजस्य
गूँजने दो भवधान,
रमा है सबमें राम।
बढ़े विचित्र वर्ण वे अपने
गढ़ें स्वतन्त्र चरित्र;
बने एक उन सबसे उसकी
सुन्दरता का चित्र।
रहे जो लोक ललाम,
रमा है सबमें राम।
अयुत दलों से युक्त क्यों न हों
निज मानस के फूल;
उन्हें बिखरना वहाँ जहाँ है
उस प्रिय की पद-धूल।
मिले बहुविधि विश्राम,
रमा है सबमें राम।
अपनी अगणित धाराओं के
अगणित हों विस्तार;
उसके सागर का भी तो है
बढ़ो बस आठों #याम,
रमा है सबमें राम।
हुआ एक होकर अनेक वह
हम अनेक से एक,
वह हम बना और हम वह यों
अहा ! अपूर्व विवेक।
भेद का रहे न नाम,
रमा है सबमें राम।
याम-1. समय; काल 2. तीन घंटे का काल; पहर, यम संबंधी; यम का।
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