फिर भी लोग ख़ुदाओं जैसी बातें करते हैं
-इफ़्तिख़ार आरिफ़
काश देखो कभी टूटे हुए आईनों को
दिल शिकस्ता हो तो फिर अपना पराया क्या है
-उबैदुल्लाह अलीम
अजीब तजरबा था भीड़ से गुज़रने का
उसे बहाना मिला मुझ से बात करने का
-राजेन्द्र मनचंदा बानी
एक चेहरे में तो मुमकिन नहीं इतने चेहरे
किस से करते जो कोई इश्क़ दोबारा करते
-उबैदुल्लाह अलीम
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