Monday, October 12, 2020

सफर शायरी

जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं

- अहमद फ़राज़


अब के सफ़र में दर्द के पहलू अजीब हैं
जो लोग हम-ख़याल न थे हम-सफ़र हुए

- खलील तनवीर

ज़िंदगी अपना सफ़र तय तो करेगी लेकिन
हम-सफ़र आप जो होते तो मज़ा और ही था

- अमीता परसुराम मीता


सफ़र के साथ सफ़र के नए मसाइल थे
घरों का ज़िक्र तो रस्ते में छूट जाता था

- वसीम बरेलवी

सफ़र में होती है पहचान कौन कैसा है
ये आरज़ू थी मिरे साथ तू सफ़र करता

- तैमूर हसन


अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो

- मुनव्वर राना
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शिकस्ता-दिल अँधेरी शब अकेला राहबर क्यूँ हो
न हो जब हम-सफ़र कोई तो अपना भी सफ़र क्यूँ हो

- इन्दिरा वर्मा


हम-सफ़र रह गए बहुत पीछे
आओ कुछ देर को ठहर जाएँ

- शकेब जलाली
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उस को नए सफ़र में नए हम-सफ़र के साथ
दिल ख़ुश हुआ है क्यों ये ज़िया देखते हुए

- ज़िया ज़मीर


सफ़र के बीच ये कैसा बदल गया मौसम
कि फिर किसी ने किसी की तरफ़ नहीं देखा

- मंज़र भोपाली


सफ़र के बाद भी ज़ौक़-ए-सफ़र न रह जाए
ख़याल ओ ख़्वाब में अब के भी घर न रह जाए

- अभिषेक शुक्ला



हम जुदा हो गए आग़ाज़-ए-सफ़र से पहले
जाने किस सम्त हमें राह-ए-वफ़ा ले जाती

- शहरयार


मुमकिन है सफ़र हो आसाँ अब साथ भी चल कर देखें
कुछ तुम भी बदल कर देखो कुछ हम भी बदल कर देखें

- निदा फ़ाज़ली



आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए
वर्ना ये उम्र भर का सफ़र राएगाँ तो है

- मुनीर नियाज़ी

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