Thursday, October 29, 2020

आगे बढ़ना बंधु

आगे आगे बढ़ना बंधु आगे आगे बढ़ना
चलते रहना है अपना काम
नहीं देना जीवन को विराम बंधु
नहीं देना जीवन को विराम

समय जो न मिल पाया
अब समय है वो आया
पहचानो अपने मन को
क्या हुनर तूने पाया
राहें फिर खोजो जल्दी
अग्रसर हो उस पथ पर ही
फिर देना उसको तुम अन्जाम
पाओगे एक नया मुकाम

हार जिसने न मानी
कर दिखाया जो मन में ठानी
डिगे न मुश्किल से जो
मंजिल है उसकी रानी
निश्चलता पर्वत सी हो
चंचलता नदिया सी हो
सुनो फिर रश्मि की पुकार
मिट जाएगा जीवन का अंधकार

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