चलते रहना है अपना काम
नहीं देना जीवन को विराम बंधु
नहीं देना जीवन को विराम
समय जो न मिल पाया
अब समय है वो आया
पहचानो अपने मन को
क्या हुनर तूने पाया
राहें फिर खोजो जल्दी
अग्रसर हो उस पथ पर ही
फिर देना उसको तुम अन्जाम
पाओगे एक नया मुकाम
हार जिसने न मानी
कर दिखाया जो मन में ठानी
डिगे न मुश्किल से जो
मंजिल है उसकी रानी
निश्चलता पर्वत सी हो
चंचलता नदिया सी हो
सुनो फिर रश्मि की पुकार
मिट जाएगा जीवन का अंधकार
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