फिरता नहीं वो तीर जो निकला कमान से
आँखें ख़ुदा ने बख़्शी हैं रोने के वास्ते
दो कश्तियाँ मिली हैं डुबोने के वास्ते
एहसान नहीं ख़्वाब में आए जो मिरे पास
चोरी की मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं है
देखा है आशिक़ों ने बरहमन की आँख से
हर बुत ख़ुदा है चाहने वालों के सामने
सुर्ख़ी शफ़क़ की ज़र्द हो गालों के सामने
पानी भरे घटा तिरे बालों के सामने
चेहरा तमाम सुर्ख़ है महरम के रंग से
अंगिया का पान देख के मुँह लाल हो गया
मैं जुस्तुजू से कुफ़्र में पहुँचा ख़ुदा के पास
का'बे तक इन बुतों का मुझे नाम ले गया
जलसों में गुज़रने लगी फिर रात तुम्हारी
इस भीड़ में जाती न रहे बात तुम्हारी
आँखें ख़ुदा ने बख़्शी हैं रोने के वास्ते
दो कश्तियाँ मिली हैं डुबोने के वास्ते
हाथ मलवाती हैं हूरों को तुम्हारी चूड़ियाँ
प्यारी प्यारी है कलाई प्यारी प्यारी चूड़ियाँ
बे-वक़्त जो घर से वो मसीहा निकल आया
घबरा के मिरे मुँह से कलेजा निकल आया
कंघी से इतनी देर में सुलझाई एक ज़ुल्फ़
ऐ जान आधी रात बखेड़े में ढल गई
जुदाई के सदमों को टाले हुए हैं
चले जाओ हम दिल सँभाले हुए हैं
ज़माने की फ़िक्रों ने खाया है हम को
हज़ारों के मुँह के निवाले हुए हैं
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