वह तारा भी परदेस गया
मैं एक पंछी बेसहारा
फिरूं इस गगन में आवारा
कोई न डोर है
न जाल है
न किसी की आवाज की गूंज का
इशारा
जो कुछ विद्यमान है
मेरे पीछे पीछे चलता है
बदकिस्मती मेरी है यह कि
मैं आगे आगे बढ़ता हूं
पीछे मुड़कर देख नहीं सकता
संयम खो देता हूं
गिर जाता हूं
साथ है जो साया
उसे पहचान नहीं पा रहा
अपना हो जायेगा पराया
पराया हो जायेगा
साया
साया कर लेगा
मुझसे किनारा
यह सम्पूर्ण प्रक्रिया
सच में
किसी ब्रह्मांड की भांति ही
अनसुलझे रहस्य की तरह
समझ नहीं पाया।
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