Sunday, October 18, 2020

रात की धड़कन जब तक जारी रहती है

रात की धड़कन जब तक जारी रहती है 
सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है 

जब से तू ने हल्की हल्की बातें कीं 
यार तबीअत भारी भारी रहती है 

पाँव कमर तक धँस जाते हैं धरती में 
हाथ पसारे जब ख़ुद्दारी रहती है 

वो मंज़िल पर अक्सर देर से पहुँचे हैं 
जिन लोगों के पास सवारी रहती है 

छत से उस की धूप के नेज़े आते हैं 
जब आँगन में छाँव हमारी रहती है 

घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया 
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है

राहत इंदौरी

No comments: