Friday, October 2, 2020

सारे पन्ने कोरे निकले।

फुरसत नहीं मिली हमको,
यूं तो सारी जिंदगी ।
पर जीवन के जब पन्ने पलटे,
सारे पन्ने कोरे निकले।

भटके किये बहार की तलाश में,
यूं तो सारी उम्र हम।
जिसको भी अपना समझा,
वो ही बेवफा निकले।

यादों के चराग़ दिल के,
जले कुछ इस तरह से।
ना तो मरे ही हम और,
ना ही जिंदा निकले।

No comments: