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आशु तो कुछ भी नहीं आसूँ के सिवा, जाने क्यों लोग इसे पलकों पे बैठा लेते हैं।
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आज धरती से कौन विदा हुआ - अमृता प्रीतम
आओ तन्हाई में गुजर बसर कर के देखें.
जो वर्तमान हैवो परेशान है
हम न सोए रात थक कर सो गई
तेरा वक़्त भी आएगा
हर सुब्ह धूप तुझे जगाती है तेरी पलक को छूकर
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सफर शायरी
रेत-सी धूप है खेत चुपचाप हैं- दिनेश कुमार शुक्ल
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
रिश्तों में नहीं अब कारोबार चाहिए
यादों की नदी
आगे बढ़ना बंधु
तेरी सुरमई आंखों के हवाले हो गया
बिना कुछ कहे एक इशारे में
ज़रा सी देर क्या हुईतुम यूँ ख़फा हुए ।
जिंदगी और मोहब्बत शायरी
रात की धड़कन जब तक जारी रहती है - राहत इंदौरी
यह प्रेम तोमन का सौदा है
मगर चराग़ जलाना तो इख़्तियार में है
मौन धरों ना, कुछ तो बोलो
सपनों की होली, हसरतों की डोली
मेरे संग तुम शाम बिताकर तो देखो
रमा है सबमें राम - मैथिलीशरण गुप्त
किसी ने मोल न पूछा दिल-ए-शिकस्ता का
कभी आवाज देना चला आऊंगा मैं
ये सवाल ज़ेहन पे भारी है
चला आऊंगा मैं
शक पे है यकीन उनको
तुझसे शिक़वा करूँ या करूँ दिल्लगी
किस से करते जो कोई इश्क़ दोबारा करते
उसकी यादों में खोना मुनासिब नहीं।
साड़ी शायरी
तारीफ़ करूँ आपकी या गिला करूँ
चोरी की मुलाक़ात मुलाक़ात नहीं है
शाखों पर बैठकर गुजारी हमने रातें
मेरे मासूम सवालों की गहराई से मत डरना
नभ में जो इक तारा था
जब सफ़ीना मौज से टकरा गया
सब कुछ कह लेने के बाद
रात की धड़कन जब तक जारी रहती है
ज़मीं पे चाँद कहाँ रोज़ रोज़ उतरता है
मरना कितना आसां है जीना कितना भारी है।
दिल की धड़कन शायरी
हर पल हर जगह नजर आने लगी हो तुम
भला मैं तो था ही जुगुनू सा
आते हैं वो यूँ ही मेरे ख़यालों में
दिल मिलना बाकी है।
आस, नसीहत शायरी
वक़्त तो कब का निकल चुका
पथिकों के लिए पदचिह्न ....
हर एक बात को चुप-चाप क्यूं सुना जाए- निदा फ़ाज़ली
ढलती शाम शायरी
सफर शायरी
तू चाहिए न तेरी वफ़ा चाहिए मुझे - ख़ुमार बाराबंकवी
कहां ढूंढ़ते हो ख़ुद को
ख़ुशी मिले या ग़म सहना पड़ता है
जीना पड़ता है
दर्द का सिलसिला चलता रहेगा |
वे बातें लौट न आएंगी...
हम परेशाँ ही रहे अपने ख़यालों की तरह
ऐसा नहीं कि दर्द से ही फ़ासला होते रुका है
उजाले भी, अंधेरों से, मोहब्बत खूब करते हैं।
सब कुछ होते हुए भी कुछ तो कमी है
ये क्या कि सब से बयां दिल की हालतें करनी
आज फिर हसीन लम्हों ने मुझे पुकारा था
कभी आंखों से ही बात कर लेते थे
ज़िन्दगी में कुछ कमी है
उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊंगा
मेरी उदासी की है किसे फ़िक्र यहां ..
गुरु दोहा
आदमी शायरी
ग़म रहा जब तक कि दम में दम रहा
गुमशुदा ही रहा करता है वो ख़ुद से ही ख़ुद में
ग़ज़ल, गजल शायरी
ग़ज़ल, गजल शायरी
मेरे हाल की है तुझे क्या ख़बर
काटते कटती नहीं है, विरह की ये रैन।
इंतिहा, इन्तहाँ शायरी
आ गले से लगा लूं, मेरे अकेलेपन
मिल के भी जो कभी नहीं मिला
कुछ सुन लें, कुछ अपनी कह लें।
पर अन्धेरा देख तू आकाश के तारे न देख - दुष्यंत कुमार
मन समर्पित, तन समर्पित
तुमसे मिलना था मिल नहीं पाये ।।
कतील शिफ़ाई की गजलें
प्राणों से प्यारा है, ये देश हमारा है
सारे पन्ने कोरे निकले।
जिंदगी मुट्ठी में बंद रेत सी रिसती जाती है
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Tuesday, October 20, 2020
तारीफ़ करूँ आपकी या गिला करूँ
तारीफ़ करूँ आपकी या गिला करूँ,
याद में आपकी ग़ज़ले सिला करूँ।
गुफ़्तगू किया करूं बैठ ख्वाबों में
सुबह-शाम आपसे मैं मिला करूँ।
मुरझाया हूं बिन सावन-बारिश के,
रिमझिम के आगोश में खिला करूँ।
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