Saturday, October 10, 2020

सब कुछ होते हुए भी कुछ तो कमी है

सब कुछ होते हुए भी कुछ तो कमी है
तभी तो आज मेरी आंखों में नमी है ;
अतीत में शायद कुछ तो ऐसा बोया होगा
उस वक़्त मैंने कुछ तो खोया होगा;
तभी तो आज जीवन में कोई ललक नहीं
मीलों दूर तक मंजिल की कोई झलक नहीं;
अब ना कोई अरमान और ना कोई सपना है
बिना कर्म किए जो मिल जाए वही अपना है;
जीने की औपचारिकता निभा रहा हूं
नकारा जीवन जिए जा रहा हूं ;
पता नहीं जीने की ऐसी क्या मजबूरी है
शायद आपके आंसू ही मेरी कमजोरी है ;
आखिर कब तक यह बंधन मुझको रोकेगा
कभी तो ख़ुदा मेरे बारे में भी सोचेगा
तब शायद वो मुझे अपने पास बुला लेगा
और मुझे हमेशा के लिए चैन से सुना देगा!!

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