तेरे टोके से जो ठहरा तो सवाले हो गया ।
इक लोच है तेरी झुकती उठ़ती निगाह में ,
जरा जरा सी चोट से दिल घायल हो गया ।
नतमस्तक ही रहूं तेरे आगे और तेरे पीछे ,
मेरे लिए तेरा समूचा बदन शिवाला हो गया ।
इंतजार की हद तक तुम्हें निहारने के लिए ,
अपने ही बेशकीमती वक्त के निवाले हो गया ।
अब के तुम आई हो कई रातें गुजरने के बाद ,
तेरे आने भर से ही मेरे घर में उजाले हो गया ।
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