Sunday, October 11, 2020

जीना पड़ता है

जीवन कितना कठिन हो,
फिर भी जीना पड़ता है।
जीवन में मिले गरल तो,
खुद ही पीना पड़ता है।

पथ के कांटों को चुनकर,
खुद आगे बढ़ना पड़ता है।
चाहे चुभन हो पैरों में,
फिर भी हंसना पड़ता है।

लक्ष्य कठिन हो चाहे कितना,
अर्जुन सा सधना पड़ता है।
लगा तीर निशाने पर फिर,
जीत का वरण वो करता है।

जो जीवन का गरल है पीते,
उनको ही अमृत मिलता है।
मेहनत के जल से उनके,
बंजर में फूल खिलता है।

कुछ करने की चाह हो जिसमें,
पत्थर से झरना बहता है।
अटल इरादे, दृढ़संकल्प से,
जीत का सेहरा बंधता है।

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