Wednesday, May 6, 2020

शराब शायरी

#1

तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो


तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है

(मुनव्वर राना)



#2

बे-पिए ही शराब से नफ़रत

ये जहालत नहीं तो फिर क्या है

(साहिर लुधियानवी)



#3

ज़ाहिद शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूँ

क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया

(शेख़ इब्राहीम ज़ौक़)



#4

साक़ी मुझे शराब की तोहमत नहीं पसंद

मुझ को तिरी निगाह का इल्ज़ाम चाहिए

(अब्दुल हमीद अदम)



#5

मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए

मिरा जाम छूने वाले तिरा हाथ जल न जाए

(अनवर मिर्ज़ापुरी)



#6

बे-पिए शैख़ फ़रिश्ता था मगर

पी के इंसान हुआ जाता है

(शकील बदायुनी)



#7

वाइज़ बड़ा मज़ा हो अगर यूँ अज़ाब हो

दोज़ख़ में पाँव हाथ में जाम-ए-शराब हो

(दाग़ देहलवी)



#8

पी शौक़ से वाइज़ अरे क्या बात है डर की

दोज़ख़ तिरे क़ब्ज़े में है जन्नत तिरे घर की

(शकील बदायुनी)



#9

शिरकत गुनाह में भी रहे कुछ सवाब की

तौबा के साथ तोड़िए बोतल शराब की

(ज़हीर देहलवी)



#10

ठुकराओ अब कि प्यार करो मैं नशे में हूँ

जो चाहो मेरे यार करो मैं नशे में हूँ

(शाहिद कबीर)

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