Tuesday, May 5, 2020

सज़ाएं भेज दो हम ने ख़ताएं भेजी हैं

वाक़िफ़ कहां ज़माना हमारी उड़ान से
वो और थे जो हार गए आसमान से
- फ़हीम जोगापुरी



जहां पहुंच के क़दम डगमगाए हैं सब के
उसी मक़ाम से अब अपना रास्ता होगा
- आबिद अदीब

घर के बाहर ढूंढ़ता रहता हूं दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
- राहत इंदौरी

तुम्हारे ख़्वाब से हर शब लिपट के सोते हैं
सज़ाएं भेज दो हम ने ख़ताएं भेजी हैं
- गुलज़ार

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