Sunday, June 21, 2020

झूट पर उस के भरोसा कर लिया

झूट पर उस के भरोसा कर लिया 
धूप इतनी थी कि साया कर लिया 

अब हमारी मुश्किलें कुछ कम हुईं 
दुश्मनों ने एक चेहरा कर लिया 

हाथ क्या आया सजा कर महफ़िलें 
और भी ख़ुद को अकेला कर लिया 

हारने का हौसला तो था नहीं 
जीत में दुश्मन की हिस्सा कर लिया 


मंज़िलों पर हम मिलें ये तय हुआ 
वापसी में साथ पक्का कर लिया 

सारी दुनिया से लड़े जिस के लिए 
एक दिन उस से भी झगड़ा कर लिया 

क़ुर्ब का उस के उठा कर फ़ाएदा 
हिज्र का सामाँ इकट्ठा कर लिया 

गुफ़्तुगू से हल तो कुछ निकला नहीं 
रंजिशों को और ताज़ा कर लिया 

मोल था हर चीज़ का बाज़ार में 
हम ने तन्हाई का सौदा कर लिया

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