Saturday, June 13, 2020

पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है

लोग कहते हैं कि तू अब भी ख़फ़ा है मुझ से
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा है मुझ से
- जाँ निसार अख़्तर

इक शजर ऐसा मोहब्बत का लगाया जाए
जिस का हम-साए के आँगन में भी साया जाए
- ज़फर ज़ैदी

ज़िंदगी शायद इसी का नाम है
दूरियाँ मजबूरियाँ तन्हाइयाँ
- कैफ़ भोपाली

पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है
ये नाव कौन सी है ये दरिया कहाँ का है
- अहमद मुश्ताक़

No comments: