Friday, June 12, 2020

मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है

मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है
ख़ामोशी भी है ये आवाज़ भी है
- अर्श मलसियानी


मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है
ख़मोशी भी है ये आवाज़ भी है
- अर्श मलसियानी

टूट पड़ती थीं घटाएँ जिन की आँखें देख कर
वो भरी बरसात में तरसे हैं पानी के लिए
- सज्जाद बाक़र रिज़वी

अगरचे ज़ोर हवाओं ने डाल रक्खा है
मगर चराग़ ने लौ को संभाल रक्खा है
- अहमद फ़राज़

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