Saturday, June 20, 2020

कहने की थी जो बात वही दिल में रह गई

सब कुछ हम उन से कह गए लेकिन ये इत्तिफ़ाक़
कहने की थी जो बात वही दिल में रह गई
- जलील मानिकपूरी


झूटे वादों पर थी अपनी ज़िंदगी
अब तो वो भी आसरा जाता रहा
- अज़ीज़ लखनवी


ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
- मिर्ज़ा ग़ालिब

एक चराग़ और एक किताब और एक उम्मीद असासा
उस के बा'द तो जो कुछ है वो सब अफ़्साना है
- इफ़्तिख़ार आरिफ़

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