Friday, June 26, 2020

गोपाल दास नीरज के 10 चुनिंदा शेर

अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए
जिस में इंसान को इंसान बनाया जाए


जिस्म दो हो के भी दिल एक हों अपने ऐसे
मेरा आंसू तेरी पलकों से उठाया जाए

जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा


उस से मिलना ना-मुम्किन है
जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा

है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए
जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए


छीनता हो जब तुम्हारा हक़ कोई उस वक़्त तो
आंख से आंसू नहीं शोला निकलना चाहिए

बड़ा न छोटा कोई फ़र्क़ बस नज़र का है
सभी पे चलते समय एक सा कफ़न देखा


ज़बां है और बयां और उस का मतलब और
अजीब आज की दुनिया का व्याकरन देखा

मेरे घर कोई ख़ुशी आती तो कैसे आती
उम्र-भर साथ रहा दर्द महाजन की तरह


हर किसी शख़्स की क़िस्मत का यही है क़िस्सा
आए राजा की तरह जाए वो निर्धन की तरह

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